एकाग्र हुआ चित्त ही पूर्णता को, प्राप्त होता है, सुखी का चित्त, एकाग्र होता है। Lord Buddha
धैर्य सबसे बड़ी, प्रार्थना है। Lord Buddha
अहंकार के समूल नाश से तृष्णाओं, का अंत होता है। Lord Buddha
फूल की सुगंध वायु के विपरीत कभी, नहीं जाती परंतु मानव के सद्गुण की महक सब, तरफ फैल जाती है। Lord Buddha
आदमी को चाहिए कि बुराई के बजाय, भलाई का रास्ता अपनाएं भलाई, करने वाले लोग लोक व परलोक, दोनों में ही सुख से रहते हैं। Lord Buddha
सदाचरण मनुष्य, का धर्म है। Lord Buddha
अभिलाषा सब दुखों, की जड़ है। Lord Buddha
समस्त प्राणियों पर दया, करनी चाहिए। Lord Buddha
कामना से दुख आता है , दुख से भय आता है और जो, इच्छाओं से मुक्त है , वह ने दुख जानता है , ना ही भय। Lord Buddha
जो व्यक्ति क्रोध और उत्तेजित होने पर, मन को शांति की दिशा में मोड़ सकता है, उसे मैं सारथी कहता हुँ। Lord Buddha
क्रोध और उबलता पानी एक समान है, क्रोधी भलाई नहीं देख पाता और खोलते, जल में परछाई नहीं दिखती। Lord Buddha
चलते ,खड़े, बैठते अथवा सोते हुए, जो व्यक्ति मन को शांत रखता है, वह निश्चित ही शांति को प्राप्त हो जाता है। Lord Buddha